आत्मज्ञान से जीवन परिवर्तन
इतिहास साक्षी है कि जो अन्दर से जागे हैं, उनके जीवन बदल गये हैं। जीवन का कायाकल्प हो गया। पतित जीवन तपस्वी बन गए। भोगी, विलासी, दुर्व्यसनी मुंशीराम तपस्वी त्यागी बलिदानी स्वामी श्रद्धानन्द बन गये। भोग विलास तथा वासनाओं के कीचड़ में फंसे अमीचन्द अमूल्य हीरा बन गए। गुरुदत्त नास्तिक से से आस्तिक बन गए। रिश्वतखोर पटवारी फूलसिंह महात्मा भगत फूलसिंह बन गये। यह तब सम्भव हुआ, जब उनके हृदय में ज्ञान की अग्नि प्रज्ज्वलित हुई । हमारे जीवनों में परिवर्तन, सुधार व आकर्षण उत्पन्न नहीं हो पा रहा है और हमारे ज्ञान एवं विवेक में वृद्धि नहीं हो रही है। मूल में भूल हो रही है। हमारे जीवन नहीं बन पा रहे हैं। जीवन से ही दूसरे के जीवन की ज्योति जलती है। वेद का अमर सन्देश है - यो जागार तं ऋचः कामयन्ते। जो जागता है उसे ही सत्यज्ञान तथा आत्मज्ञान प्राप्त होता है।
History is witness that the lives of those who have awakened from within have changed. Life has been transformed. The fallen life has become an ascetic. The pleasure-seeker, luxurious, ill-tempered Munshiram became the ascetic, sacrificing Swami Shraddhanand. Amichand, who was stuck in the mire of pleasures and lust, became a priceless diamond. Guru Dutt became a believer from an atheist. The corrupt patwari Phool Singh became Mahatma Bhagat Phool Singh. This was possible when the fire of knowledge was lit in his heart.
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