आर्यसमाज विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी
आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8120018052 पर (समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।
युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके।
1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।
3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।
4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।
5. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।
6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।
आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है।
विशेष सूचना- Arya Samaj, Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Marriage, Head Office तथा Court Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। सावधान करने के बाद भी जाने-अनजाने में यदि आप गलत जगह फंसते हैं, तो अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई जवाबदारी नहीं होगी।
"आर्यसमाज विवाह सहायता" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज विवाह सहायता" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित एकमात्र Marriage Helpline है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों।
अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें -
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक)
Arya Samaj Marriage Helpline
Helpline No.: 8120018052
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राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
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फोन : 0731-2489383, 8989738486
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आग निरंतर जलती रहे, इसलिए उसमें ईंधन डालना जरूरी होता है। इसी तरह शास्त्रों का अध्ययन भी जरूरी है, पर वहीं पर हमारे आध्यात्मिक प्रयास की परिणति नहीं हो जाती है। उसे सेवाभाव में उतारने पर आराधना का स्वरूप उभरता है, जो कि समग्र व सच्चा आध्यात्मिक पुरुषार्थ है।
The fire continues to burn, so it is necessary to add fuel to it. Similarly, study of scriptures is also necessary, but there our spiritual effort does not get culminated. When it is put into the spirit of service, the form of worship emerges, which is a holistic and true spiritual effort.
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वर्तमान युग का विशिष्टतम चिंतन मानवतावाद - वैज्ञानिक चिंतन में एक शब्द का प्रयोग होता है - विकासवाद; जिसे अँगरेजी में 'इवोल्यूशन' कहकर पुकारा जाता है। क्रमिक विकास भी इसी का दूसरा नाम है।
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Humanism, the most characteristic of the present era, is a term used in scientific thought - evolutionism; Which is called as 'Evolution' in English. Gradual development is also another name for this.
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चरित्र निर्माण को जीवन की सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया कहें तो अतिश्योक्ति न होगी, लेकिन इस संदर्भ में अधिकांश लोग अधिक सजग-सचेष्ट नहीं पाए जाते। अतः इस सुरदुर्लभ जीवन का समुचित लाभ नहीं ले पाते तथा दूसरों पर सकारात्मक छाप नहीं छोड़ पाते और जीवन में असंतुष्टि एवं हताशा-निराशा के बीच एक गहरे मलाल भरे जीवन को जीते देखे जाते हैं।
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It would not be an exaggeration to call character building the most important process in life, but most people are not found to be very conscious in this context. Therefore, they are not able to take proper advantage of this rare life and cannot leave a positive impression on others and are seen living a deep regretful life amidst dissatisfaction and frustration-disappointment in life.
आत्मज्ञान से जीवन परिवर्तन इतिहास साक्षी है कि जो अन्दर से जागे हैं, उनके जीवन बदल गये हैं। जीवन का कायाकल्प हो गया। पतित जीवन तपस्वी बन गए। भोगी, विलासी, दुर्व्यसनी मुंशीराम तपस्वी त्यागी बलिदानी स्वामी श्रद्धानन्द बन गये। भोग विलास तथा वासनाओं के कीचड़ में फंसे अमीचन्द अमूल्य हीरा बन गए। गुरुदत्त नास्तिक से से आस्तिक बन गए।...