श्रमशील व्यक्ति
श्रम ही आनंद और प्रसन्नता का जनक है डॉ० विश्वेश्वरैया ने कहा है- ''श्रम से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्राप्त होता है और उससे संतोष एवं प्रसन्नता की प्राप्ति होती है।'' श्रम का अर्थ है आनंद और अकर्मण्यता का अर्थ है दुःख एवं परेशानी। श्रमशील व्यक्ति ही अधिक संतोष और आनंदित रह सकता है। इसके लिए विपरीत अकर्मण्यता मनुष्य को बुराइयों तथा नीरसता की ओर ले जाती है। जो व्यकित श्रम की गरिमा को समझेगा, वही श्रमनिष्ठ बनेगा और श्रम देवता के अद्भुत अनुदान प्राप्त कर सकेगा।
Labor is the father of joy and happiness, Dr. Visvesvaraya has said - "Labour leads to physical and mental health and from it contentment and happiness are attained." Shram means joy and inaction means sorrow and trouble. . Only a hardworking person can be more content and happy. On the contrary, inaction leads man to evils and dullness. The person who will understand the dignity of labor, he will become laborious and will be able to get wonderful grants of the God of Labor.
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प्रार्थना से कामना सिद्धि मनुष्य अनेक शुभ अभिलाषाओं से कुछ यज्ञों को प्रारम्भ करते हैं और चाहते हैं कि यज्ञ सफल हो जाएँ, परन्तु कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक उस यज्ञ में देवों के देव अग्निरूप परमात्मा पूरी तरह न व्याप रहे हों। चूँकि जगत में परमात्मा के अटल नियमों व दिव्य-शक्तियों के अर्थात् देवों के द्वारा ही...