प्रार्थना से कामना सिद्धि
मनुष्य अनेक शुभ अभिलाषाओं से कुछ यज्ञों को प्रारम्भ करते हैं और चाहते हैं कि यज्ञ सफल हो जाएँ, परन्तु कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक उस यज्ञ में देवों के देव अग्निरूप परमात्मा पूरी तरह न व्याप रहे हों। चूँकि जगत में परमात्मा के अटल नियमों व दिव्य-शक्तियों के अर्थात् देवों के द्वारा ही सब-कुछ सम्पन्न होता है। परमात्मा के बिना कोई यज्ञ कैसे सफल हो सकता है? और जिस यज्ञ में परमात्मा व्याप्त हो वह यज्ञ अध्वर (ध्वर अर्थात कुटिलता और हिंसा से रहित) तो अवश्य होना चाहिए। पर जब हम यज्ञ प्रारम्भ करते हैं, कोई शुभ कर्म करते हैं, किसी संघ-संघटन में लगते हैं, परोपकार का कार्य करने लगते हैं, तो मोहवश परमात्मा को भूल जाते हैं। उसकी जल्दी सफलता के लिये हिंसा और कुटिलता से भी काम लेने को उतारु हो जाते हैं। तभी परमात्मा हाथ हमारे ऊपर से उठ जाता है। ऐसा यज्ञ देवों को स्वीकृत नहीं होता, उन्हें नहीं पहुँचता, सफल नहीं होता। इसलिए याज्ञिक प्रार्थना करता है कि हे प्रभो! अब जब कभी हम निर्बलता के वश अपने यज्ञों में कुटिलता व हिंसा का प्रवेश करने लगें और तुझे भूल जाएँ तो हे प्रकाशक देव! हमारे अन्तरात्मा में एक बार इस वैदिक सत्य को जगा देना, हमारा अन्तरात्मा बोल उठे कि हे अग्ने! जिस कुटिलता व हिंसारहित यज्ञ को तुम सब ओर से घेर लेते हो, व्याप लेते हो, केवल वही यज्ञ देवों में पहुँचता है अर्थात् दिव्य फल लाता है, सफल होता है। सचमुच तुम्हें भुलाकर, तुम्हें हटाकर यदि हम किसी संगठन शक्ति द्वारा कुटिलता व हिंसा के जोर पर कुछ करना चाहेंगे तो चाहे कितना भी घोर उद्योग कर लें हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी।
Everything in the world is accomplished by God's steadfast rules and divine powers, that is, by the Gods. How can any Yagya be successful without God? And the Yagya in which God is present must be Adhvara Dhvara i.e. free from evil and violence.
Fulfillment of Wishes Through Prayer | Solution to Problem | All India Arya Samaj | All India Arya Samaj Pandits for Legal Marriage | Court Marriage Helpline | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Marriage | Same Day Marriage | Book Your Marriage
प्रार्थना से कामना सिद्धि मनुष्य अनेक शुभ अभिलाषाओं से कुछ यज्ञों को प्रारम्भ करते हैं और चाहते हैं कि यज्ञ सफल हो जाएँ, परन्तु कोई भी यज्ञ तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक उस यज्ञ में देवों के देव अग्निरूप परमात्मा पूरी तरह न व्याप रहे हों। चूँकि जगत में परमात्मा के अटल नियमों व दिव्य-शक्तियों के अर्थात् देवों के द्वारा ही...