अधिपति
जगत में जो कुछ भी है, उस सब में ईश्वर का वास है। भगवान ने विस्तार से बताने हेतु जड़ जगत के हर वर्ग के प्रतिनिधि में अपने स्वरूप का ही बिम्ब बताया है। हे अर्जुन! जगत का मूल कारण विष्णु मैं ही हूँ। समस्त प्रकाशमान ज्योति की ज्योति सूर्य मैं ही हूँ, उनचास मरुतों में मेरा ही तेज है, नक्षत्रों का अधिपति चन्द्रमा मैं ही हूँ। भगवान कह रहे हैं कि अर्जुन पूरी प्रकृति मेरा ही स्वरुप है। बुद्धिमान भक्त मेरी प्रकृति में हर जगह मेरी विभूत्ति का आभास पा सकता है, मेरी उपस्थिति की साक्षात् अनुभूति कर सकता है।
Whatever is there in the world, God resides in it all. To explain in detail, God has told the image of his own form in the representative of every class of the inert world. Hey Arjun! I am Vishnu the root cause of the world. I am the sun, the light of all the bright light, I am the glory among the forty-nine Maruts, I am the moon, the ruler of the constellations. God is saying that Arjun, the whole nature is my form. An intelligent devotee can perceive My presence everywhere in My nature, experience My presence directly.
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महर्षि दयानन्द की देश वन्दना आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश में एक कर्त्तव्य बोध कराया है। यह बोध देश के प्रत्येक नागरिक के लिए धारण करने योग्य है। भला जब आर्यावर्त में उत्पन्न हुए हैं और इसी देश का अन्न जल खाया-पीया, अब भी खाते पीते हैं, तब अपने माता-पिता तथा पितामहादि के...