धरती माता
किसी विचारक ने ठीक ही कहा था, अपनी धरती साहसी एवं वीरों की बलिदानी फसल तैयार करती है और इसी कारण वे अपनी माँ का करज उतारते हुए अपना सर्वस्व होम देते हैं। उनकी आखों में अपनी इस धरती माता के प्रति मिटने की अजीब चमक होती है। यहाँ की ललनाओं की सुनी माँगे खून से भरी जाती हैं। यहाँ का धर्म कायरता नहीं वीरता है, क्रूरता नहीं प्रखरता है और यहाँ का कर्तव्य दैन्य पलायन नहीं आत्मोत्सर्ग है। यही यहाँ के वीरों का आभूषण है। ये दिव्या अलंकार से अलंकृत होते हैं।
Some thinker had rightly said, our land produces a crop of courageous and heroic people and that is why they give their everything home while repaying the debt of their mother. There is a strange glow in their eyes of being erased towards this mother earth. The demands heard by the children here are filled with blood. The religion here is not cowardice, it is bravery, not cruelty, and the duty here is self-sacrifice, not daily escape. This is the ornament of the heroes here. These lights are decorated with ornaments.
Mother Earth | All India Arya Samaj | All India Arya Samaj Marriage Registration | All India Arya Samaj Vivah Vidhi | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability | Pandits for Marriage | Inter Caste Marriage helpline Conductor | Official Web Portal of All India Arya Samaj | All India Arya Samaj Intercaste Matrimony | All India Arya Samaj Marriage Procedure | All India Arya Samaj Vivah Poojan Vidhi | Inter Caste Marriage Promotion | Official Website of All India Arya Samaj | All India Arya Samaj Legal Marriage Service | All India Arya Samaj Legal Wedding | All India Arya Samaj Marriage Rituals | All India Arya Samaj Wedding | Legal Marriage | Pandits for Pooja | All India Arya Samaj Mandir
महर्षि दयानन्द की देश वन्दना आर्यसमाज के संस्थापक महर्षि दयानन्द ने सत्यार्थप्रकाश में एक कर्त्तव्य बोध कराया है। यह बोध देश के प्रत्येक नागरिक के लिए धारण करने योग्य है। भला जब आर्यावर्त में उत्पन्न हुए हैं और इसी देश का अन्न जल खाया-पीया, अब भी खाते पीते हैं, तब अपने माता-पिता तथा पितामहादि के...