कुरीतियाँ
मानवीय गति का क्रम रूप से चलता रहा है; फलतः एक समय के रीती-रिवाज दूसरे समय की बदली हुई परिस्थितियों में बेकार होते रहे हैं। यह हेर-फेर सदा से होता रहा है और सदा ही होता रहेगा। यह स्वाभाविक है और आवश्यक भी। बुद्धिमान लोग ऐसे परिवर्तन अपनी दूरदर्शिता से पहले ही कर लेते हैं। प्रतिगामिता इसमें बाधा डालती है, उसे प्राचीनता से मोह और नवीनता से चिढ होती है। और उन्हें अपनाए रहने के आग्रह में यह भूल जाते हैं कि बदली हुई परिस्थितियों में उस सड़े-गले, कूड़ा-करकट को जमा करने से क्या लाभ, जो किसी समय उपयोगी भले ही रहा हो, पर अब तो ऐसी स्थिति नहीं रह गई है।
The sequence of human motion has been going on; As a result, the customs of one time have become useless in the changed circumstances of another time. This manipulation has been happening since time immemorial and will continue to happen forever. This is natural and necessary. Intelligent people make such changes even before their foresight. Regression hinders it, it is fascinated by antiquity and it is annoyed by novelty. And in insisting on adopting them, we forget that in the changed circumstances, what is the use of accumulating that rotten, rubbish, which may have been useful at one time, but is no longer such a situation.
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ज्ञान से आत्म कल्याण संसार की सबसे बड़ी मूल्यवान तथा महत्वपूर्ण चीज जीवन है। हम सब आत्म कल्याण, आत्म उत्थान और जीवन निर्माण के लिए धार्मिक स्थानों, सद्ग्रन्थों और महापुरुषों के साथ जुड़ते हैं। यदि हमें जीवन में सत्य का बोध नहीं हुआ, हमने अपने जीवन की बुराईयों, दुर्गुणों, दोषों आदि को दूर नहीं किया, पशुता से देवत्व की ओर...